रविवार, 11 जुलाई 2010

वक्त

वक्त
आज वक्त ने बहुत कठिन डगर पर लाकर खड़ा कर दिया हैं

पर इन पैरो में काटो पर भी चलने का होसला दिया हैं

घर और बाहर के लोगो ने भी पराया कर दिया हैं

अपनों के नाम पर लोगो ने दगा दिया हैं

फिर भी लड़ना तो हैं ही जिन्दगी से

तो क्यों बेकार में मैंने अपनी आखों को गीला किया हैं

3 टिप्‍पणियां:

Anamikaghatak ने कहा…

jindagi to ladne ka naam hai..........sundar prastuti........good luck

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया...

M VERMA ने कहा…

बहुत सुन्दर
पर आखिरी पंक्ति में कुछ शब्द बहुत छोटे फांट के कारण दिख नही रहे हैं, इन्हें एडिट करके ठीक कर लें
अंतिम पंक्ति इस प्रकार होना चाहिये शायद
"तो क्यों बेकार में मैंने अपनी आखों को गीला किया हैं"