आज वक्त ने बहुत कठिन डगर पर लाकर खड़ा कर दिया हैं
पर इन पैरो में काटो पर भी चलने का होसला दिया हैं
घर और बाहर के लोगो ने भी पराया कर दिया हैं
अपनों के नाम पर लोगो ने दगा दिया हैं
फिर भी लड़ना तो हैं ही जिन्दगी से
तो क्यों बेकार में मैंने अपनी आखों को गीला किया हैं
3 टिप्पणियां:
jindagi to ladne ka naam hai..........sundar prastuti........good luck
बहुत बढ़िया...
बहुत सुन्दर
पर आखिरी पंक्ति में कुछ शब्द बहुत छोटे फांट के कारण दिख नही रहे हैं, इन्हें एडिट करके ठीक कर लें
अंतिम पंक्ति इस प्रकार होना चाहिये शायद
"तो क्यों बेकार में मैंने अपनी आखों को गीला किया हैं"
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