सोमवार, 23 मार्च 2009

बदलाव

बदलाव

था मैं उसका सुदामा

पर वो न बन पाया कृषण

कृषण होते हुए भी कर गया इनकार

कहा मैं नही कृषण

थी तो मैं उसकी द्रोपदी

पर वो न बन पाया कृषण

था तो मैं उसका अर्जुन

पर वो न बन पाया कृषण

मैं था तो उसका बलराम

पर वो न बन पाया कृषण

कृषण होते हुए भी कर गया इनकार

मैं बनी भी उसकी शबरी

पर वो राम होते हुए भी न कर पाया स्वीकार

मैं था तो उसका हनुमान
पर वो राम होते हुए भी न कर पाया स्वीकार

अब मंशा तो यही हैं की बनू रावन और कंस

ताकि वो अब तो बन जाए मेरा कृषण और राम

उद्धार हो जाए उसके हाथो से मेरा

ताकि दुनिया मैं हो उसकी जय जयकार