शनिवार, 8 नवंबर 2008

obama



ओबामा भारत के प्रति मित्रता का भावःरखते हैं लेकिन उनका भारत और पाक के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर बिल किल्टन को विशेष दूत बनाना क्या सही हैं वैस देखा जाए तो वह भारत और पाक के बीच में शांतिप्रिय संबध को बनाने में हैं


जबकि भारत इस मामले में किसी तीसरे देश को नही चा रहा हैं

रोजी



मेरठ में हुए बम धमाके में कई घरो के चिराग बुझ गए अब वहा की हालात बड़े ही बदतर हो गए


देखो इस बच्चे को इसका बाप चल बसा


पर भूख में क्या करे आखिर कब तक रोयेगा


लेकिन बाप के गम में कब तक रोयेगा


अब तो उसे अपनी रोजी के लिए सोचना हैं


अभी तो सरकार ने खाना दे दिया


लेकिनएकं कल कौन खाना देगा

शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

वादिया


यह फोटो मेरे एक साथी दीपचंद्र तिवारी की हैं जो फोटो खीचने में महारथ हासिल किए हुए हैं उनकी इस फोटो को देख कर मैंने कुछ पंक्तिया लिखी हैं..... हर किसी को पसंद आयेंगी

खूबसूरत यह समा हैं या फिर तेरा आगाज या फिर इतनी सुंदर इन वादियों में

किसी ख़ास के होने का गहरा एहसास

इन वादियों को छूते ये बादल जैसे लगता हैं

वादियों को हो इनसे कुछ काम

और इन वादियों को हो किसी के आने का एहसास

इन वादियों के बीच में नशे चूर यह बादल कर रहे हो

किसी ख़ास के होने का एहसास

रविवार, 19 अक्तूबर 2008

इन्तजार में






कितनी सुंदरहोती हैं चिड़िया



चहकती हुई कही पर भी चली जाती हैं



लेकिन देखो इस चिड़िया को



कैसे शांत बैठी हैं एक डाल पर



न जाने किसके इन्तजार में



जो हर जगह चली जाती हैं

घने बादलो के बीच में

देखो कैसे बैठी हैं

उसके इन्जार में



थक कर बैठ गई हैं उसी के इतजार में



यह फोटो दीपचंद्र तिवारी जो की फोटो खीचने में माहिर हैं यह उनकी फोटो हैं जिस पर मने कुछ पंक्तिया लिखी हैं

मंगलवार, 23 सितंबर 2008

takdeer



तोड़ना टूटे हुए दिल का बुरा होता हैं


जिसका कोई नही उसका खुदा होता हैं


मांग कर तुमसे खुशी लू मुझे मंजूर नही


किसकी मांगी हुई दोलत से भला होता हैं


लोग नाहक ही कहते हैं किसी को बुरा


हर इंसान अछा होता हैं मगर वक्त होता बुरा


इंसान को अपनी तबाही का कैसा शिकवा होता हैं


जिनता तकदीर में लिखा हैं उतना होता हैं

शनिवार, 20 सितंबर 2008

foji


करती हू उस फोजी को सलाम

जो सीमा पर रहता खड़ा सुबह और शाम

जो की हैं मेरे देश की आन और शान

मैं फोजी न सही पर हू एक इंसान

करती हू प्यार मुल्क से

कर दूंगी अपना सारा जीवन इस पर कुर्बान

हू तो मैं एक नन्ही सी जान

आउंगी एक दिन वतन के काम

शनिवार, 6 सितंबर 2008



बहुत मुश्किल है.........

वो देखो आ रहा हैं सामने से तूफान का मंजर

मगर वह पेड़ हैं उसका मुकदर हैं खड़े रहना

और कोई उस पेड़ से सीखे मुसीबत में अडे रहना

कि जिसने सीखा है तूफान मे भी खड़े रहना

लेकिन.............................एक बात और भी है

मैं कुछ बड़े लोगो की नीचता से वाकिब हो

बहुत मुश्किल हैं दुनिया मे बड़े बनकर रहना

शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

सोमवार, 1 सितंबर 2008

आतंक


मुझे ठेस पहुचती है माँ


उसी के लिए


मुझे ठेस पहुँचती है

मुझे ठेस पहुंचती है
जब तुम मेरी बातो को नहीं समझ पाती हो तो
मुझे बहुत ठेस पहुँचती है माँ
जब गोद में जगह नही देती ही तो
मुझे ठेस पहुँचती है