मेरठ में हुए बम धमाके में कई घरो के चिराग बुझ गए अब वहा की हालात बड़े ही बदतर हो गए
देखो इस बच्चे को इसका बाप चल बसा
पर भूख में क्या करे आखिर कब तक रोयेगा
लेकिन बाप के गम में कब तक रोयेगा
अब तो उसे अपनी रोजी के लिए सोचना हैं
अभी तो सरकार ने खाना दे दिया
लेकिनएकं कल कौन खाना देगा
5 टिप्पणियां:
भावपूर्ण शब्द। हकीकत बयां करता चित्र।
maarmik drashya
यही तो नियति है आैर इसी के आगे सब विवशा है। चित्र शब्द दोनों अच्छे है।?
अशोक मधुप
बहुत ही बढ़िया पारुल जी
दो लाइन मेरी और से-
दर्द दुआ देगा तुम्हें,
तुमने कम से कम समझा तो उसे,
वरना तो लोग चर्चा मैं उड़ा देते हैं
दारू मैं उड़ा देते हैं, धुंआ मैं उड़ा देते हैं ,
(मेरे ब्लॉग meridayari.blogspot.com पर भी आयें)
jisne jeewan diya wahi khana bhi dega....
bas jarurat hai us par bharosa karne ki
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