रविवार, 19 अक्तूबर 2008

इन्तजार में






कितनी सुंदरहोती हैं चिड़िया



चहकती हुई कही पर भी चली जाती हैं



लेकिन देखो इस चिड़िया को



कैसे शांत बैठी हैं एक डाल पर



न जाने किसके इन्तजार में



जो हर जगह चली जाती हैं

घने बादलो के बीच में

देखो कैसे बैठी हैं

उसके इन्जार में



थक कर बैठ गई हैं उसी के इतजार में



यह फोटो दीपचंद्र तिवारी जो की फोटो खीचने में माहिर हैं यह उनकी फोटो हैं जिस पर मने कुछ पंक्तिया लिखी हैं

6 टिप्‍पणियां:

deepchandra tiwrai ने कहा…

nice chasmu

मीत ने कहा…

acha likha hai...

Vineet Tripathi ने कहा…

nice

shivraj gujar ने कहा…

बहुत बढ़िया पारुल जी इन्तेजार का भी अपना मजा है. और जब इन्तेजार ख़त्म हो जाएगा तो मजा दोगुना हो जाएगा.
मेरे ब्लॉग (meridayari.blogspot.com) पर भी नजर डालियेगा वक़्त निकलकर.
शिवराज गूजर

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

पारूल जी एक बात की दाद देता हूं कि कोई भी ज्‍यादातर कविता लिखकर फिर फोटो का चुनाव करते हैं लेकिन आपने इसके विपरित फोटो को देखकर कविता लिखी काबिलेतारीफ है आपकी यह रचना और रचना को रचने का अंदाज बहुत खूब अति सुंदर रचना बधाई हो

hindustani ने कहा…

आप ने बहूत आचा लिखा हे कभी आप मेरे ब्लॉग पर भी आए