कितनी सुंदरहोती हैं चिड़िया
चहकती हुई कही पर भी चली जाती हैं
लेकिन देखो इस चिड़िया को
कैसे शांत बैठी हैं एक डाल पर
न जाने किसके इन्तजार में
जो हर जगह चली जाती हैं
घने बादलो के बीच मेंदेखो कैसे बैठी हैं
उसके इन्जार में
थक कर बैठ गई हैं उसी के इतजार में
यह फोटो दीपचंद्र तिवारी जो की फोटो खीचने में माहिर हैं यह उनकी फोटो हैं जिस पर मने कुछ पंक्तिया लिखी हैं
6 टिप्पणियां:
nice chasmu
acha likha hai...
nice
बहुत बढ़िया पारुल जी इन्तेजार का भी अपना मजा है. और जब इन्तेजार ख़त्म हो जाएगा तो मजा दोगुना हो जाएगा.
मेरे ब्लॉग (meridayari.blogspot.com) पर भी नजर डालियेगा वक़्त निकलकर.
शिवराज गूजर
पारूल जी एक बात की दाद देता हूं कि कोई भी ज्यादातर कविता लिखकर फिर फोटो का चुनाव करते हैं लेकिन आपने इसके विपरित फोटो को देखकर कविता लिखी काबिलेतारीफ है आपकी यह रचना और रचना को रचने का अंदाज बहुत खूब अति सुंदर रचना बधाई हो
आप ने बहूत आचा लिखा हे कभी आप मेरे ब्लॉग पर भी आए
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