शनिवार, 20 सितंबर 2008

foji


करती हू उस फोजी को सलाम

जो सीमा पर रहता खड़ा सुबह और शाम

जो की हैं मेरे देश की आन और शान

मैं फोजी न सही पर हू एक इंसान

करती हू प्यार मुल्क से

कर दूंगी अपना सारा जीवन इस पर कुर्बान

हू तो मैं एक नन्ही सी जान

आउंगी एक दिन वतन के काम

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

इसी तरह लिखती और पढ़ती रहिए। शुभकामनाएं।

SHEHZAD AHMED ने कहा…

fauji par desh ki surksha ka dayitv hai, lekin yeh hum sabhi ki jimmedari banti hai ki desh ki ekta, akhandta or suraksha ke liya kadam se kadam milakar desh ko mazboot bnay. yeh jajba sabhi main hona chahyie. keep it.

Akhilesh Soni ने कहा…

watan ke prati aapki jo bhavnayen hain unko mera salaam, bahut khoob.

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

parul,
yeh achchi shuruwat hai. achaye kam key liye shubhkamnaein.

मीत ने कहा…

बहुत खूबसूरत हैं, ज़ज्बात आपके..
एक सलाम हमारा भी नज़र आपके...
खूबसूरत
जारी रहे...

Unknown ने कहा…

nice picture with sundar kavita...badhai ho....