शनिवार, 6 सितंबर 2008



बहुत मुश्किल है.........

वो देखो आ रहा हैं सामने से तूफान का मंजर

मगर वह पेड़ हैं उसका मुकदर हैं खड़े रहना

और कोई उस पेड़ से सीखे मुसीबत में अडे रहना

कि जिसने सीखा है तूफान मे भी खड़े रहना

लेकिन.............................एक बात और भी है

मैं कुछ बड़े लोगो की नीचता से वाकिब हो

बहुत मुश्किल हैं दुनिया मे बड़े बनकर रहना

25 टिप्‍पणियां:

betuki@bloger.com ने कहा…

बहुत मुश्किल है बड़े बनकर रहा। बाकई, बहुत अच्छा लिखा।

Udan Tashtari ने कहा…

वाह!! स्वागत है. नियमित लिखें.

Pawan Kumar ने कहा…

पारुल जी
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया.
अच्छा लगा ....लिखती रहिये..

डॉ .अनुराग ने कहा…

मैं कुछ बड़े लोगो की नीचता से वाकिब हो
बहुत मुश्किल हैं दुनिया मे बड़े बनकर रहना

vakai .....sachhi baat kahi aapne...

मीत ने कहा…

मैं कुछ बड़े लोगो की नीचता से वाकिब हो
बहुत मुश्किल हैं दुनिया मे बड़े बनकर रहना
in lino mein bahut hi gahri bat kah di apne...
good keep it up
apne blog se word verification hata dein

उमेश कुमार ने कहा…

इस राह मे लुटेरे और भी हैं।

शेष फ़िर कभी....
www.kamiyaa.com

विक्रांत बेशर्मा ने कहा…

बहुत सही कहा आपने...बहुत ही मुश्किल है इस दुनिया में बड़े बनकर रहना

vipinkizindagi ने कहा…

बहुत मुश्किल हैं दुनिया मे बड़े बनकर रहना

bahut sundar......

admin ने कहा…

मगर वह पेड़ हैं उसका मुकदर हैं खड़े रहना
और कोई उस पेड़ से सीखे मुसीबत में अडे रहना
कि जिसने सीखा है तूफान मे भी खड़े रहना ।

प्रेरक और मनभावक पंक्तियाँ हैं, बधाई।

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

Wah
achhi kavita........

kabira ने कहा…

bahut mushkil hai dunia me bade ban kar rahna
kamaal ki rachna hai

Shastri JC Philip ने कहा…

"बहुत मुश्किल हैं दुनिया मे बड़े बनकर रहना "

सच है!! कठिन कार्य है!!



-- शास्त्री जे सी फिलिप

-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!

Shastri JC Philip ने कहा…

एक अनुरोध -- कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन का झंझट हटा दें. इससे आप जितना सोचते हैं उतना फायदा नहीं होता है, बल्कि समर्पित पाठकों/टिप्पणीकारों को अनावश्यक परेशानी होती है. हिन्दी के वरिष्ठ चिट्ठाकारों में कोई भी वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग नहीं करता है, जो इस बात का सूचक है कि यह एक जरूरी बात नहीं है.

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिये निम्न कार्य करें: ब्लागस्पाट के अंदर जाकर --

Dahboard --> Setting --> Comments -->Show word verification for comments?

Select "No" and save!!

बस हो गया काम !!

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

वो देखो आ रहा हैं सामने से तूफान का मंजर

मगर वह पेड़ हैं उसका मुकदर हैं खड़े रहना

और कोई उस पेड़ से सीखे मुसीबत में अडे रहना
सुंदर विचार स्वागत है हिन्दी ब्लॉग जगत में निरंतरता बनाए रखें मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें

36solutions ने कहा…

सत्‍य चिंतन, आभार

आरंभ

Yatish Jain ने कहा…

ऐसे ही लिखते रहिये एक दिन आप्का ब्लोग भी इतनी अच्छी रचनाओ से बडा हो जायेगा क़तरा-क़तरा

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kam shabdon me bahut badi baat kah di,
bahut samvedanshil chintan

ज्ञान ने कहा…

'मैं कुछ बड़े लोगो की नीचता से वाकिब हूँ'

लाजवाब

लिखते रहें

Sanjeet Tripathi ने कहा…

ह्म्म, पारूल जी, प्रकृति में हर तरह के क्रिएचर मिलते हैं।
सवाल यह है कि हम किन्हें कितना और कैसे पह्चानते हैं।

शुभकामनाएं।

श्यामल सुमन ने कहा…

कम शब्दों में सटीक बात। बधाई। लिखते रहें। लखन विक्रांत की दो पंक्तियाँ आपके लिए-

इतिहास निकलता है मेरी ही कलम से।
कागज की कमी होगी तो चेहरे पे लिख देंगे।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

pritima vats ने कहा…

मुश्किल तो हर जगह है पारुल जी। बड़े बनकर रहना भी और छोटे बनकर रहना भी।
कविता बहुत अच्छी है.
धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

मगर वह पेड़ हैं उसका मुकदर हैं खड़े रहना

sundar kavita

रंजन राजन ने कहा…

िचट्ठाजगत में आपका स्वागत है।
आपकी लेखनशैली अच्छी है। जमकर िलखें। साथ में दूसरों के िलखे पर ताकझांक कर िटप्पिणयां भी छोड़ें।
www.gustakhimaaph.blogspot.com

प्रकाश गोविंद ने कहा…

बशीर बद्र साहब ने कहा है -
" मई इस शहर का बड़ा कैसे बनूँ ,
इतना छोटापन मेरे बस का नही |"

आपका स्वागत है बुद्धिजीविओं के इस जमघट में |
लिखते रहिएगा .........
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं |

From - aajkiaawaaz.blogspot.com

प्रशांत मलिक ने कहा…

बहुत मुश्किल हैं दुनिया मे बड़े बनकर रहना

achcha likha hai..