शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

वादिया


यह फोटो मेरे एक साथी दीपचंद्र तिवारी की हैं जो फोटो खीचने में महारथ हासिल किए हुए हैं उनकी इस फोटो को देख कर मैंने कुछ पंक्तिया लिखी हैं..... हर किसी को पसंद आयेंगी

खूबसूरत यह समा हैं या फिर तेरा आगाज या फिर इतनी सुंदर इन वादियों में

किसी ख़ास के होने का गहरा एहसास

इन वादियों को छूते ये बादल जैसे लगता हैं

वादियों को हो इनसे कुछ काम

और इन वादियों को हो किसी के आने का एहसास

इन वादियों के बीच में नशे चूर यह बादल कर रहे हो

किसी ख़ास के होने का एहसास

5 टिप्‍पणियां:

ajit ने कहा…

jo aap kahna chah rahi hain woh khoobsoorat hai.Savdon ki seema main usko bandhne ki aapne himmat ki iske liye sadhobad

मीत ने कहा…

इन वादियों के बीच में नशे चूर यह बादल कर रहे हो
किसी ख़ास के होने का एहसास
beautiful...

सलीम अख्तर सिद्दीकी ने कहा…

aap jitnee achhi khabar likhti hain. utni hi acchi kavita bhi lihkee hai.

shivraj gujar ने कहा…

kisi khas ke hone ka khas ahsas aapne khoob karaya. bahut hi achha. mere blog par bhi aayen (meridayari.blogspot.com)
shivraj gujar

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

इस चित्र में तलाशा
पर दीपचन्‍द्र तिवारी
को नहीं मिल पाया।

तो सोच लिया कि
यह चित्र उनका ही
खींचा हुआ होगा
इसलिए आपने ऐसा
है लिखा पारुल।