सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

कोई कैसा तो कोई कैसा

कोई कैसा तो कोई कैसा
कोई रुलाता हैं तो कोई रुला जाता हैं
कोई हँसाता हैं तो कोई हँसी छीन ले जाता हैं
कोई लूटता हैं तो कोई लूट जाता हैं
कोई इज्ज़त करता हैं तो कोई इज्ज़त उतार जाता हैं
कोई रास्ता दिखाता हैं तो कोई रास्ते में काटे बिछा जाता हैं
कोई रिश्ते निभाता हैं तो कोई निभाने के डर से रिश्ते तोड़ जाता हैं
कोई घमंड में इतना प्रोफेशनल हो जाता हैं की अपने आप को भी भूल जाता हैं

2 टिप्‍पणियां:

Manvinder ने कहा…

ye duniya hai....essi hi hai

deepak ने कहा…

aap duniya ko nahi badal sakte ..... so apne aap ko badal lo.... but be positive .... yahi zingi ka funda.