शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

वादिया


यह फोटो मेरे एक साथी दीपचंद्र तिवारी की हैं जो फोटो खीचने में महारथ हासिल किए हुए हैं उनकी इस फोटो को देख कर मैंने कुछ पंक्तिया लिखी हैं..... हर किसी को पसंद आयेंगी

खूबसूरत यह समा हैं या फिर तेरा आगाज या फिर इतनी सुंदर इन वादियों में

किसी ख़ास के होने का गहरा एहसास

इन वादियों को छूते ये बादल जैसे लगता हैं

वादियों को हो इनसे कुछ काम

और इन वादियों को हो किसी के आने का एहसास

इन वादियों के बीच में नशे चूर यह बादल कर रहे हो

किसी ख़ास के होने का एहसास

रविवार, 19 अक्तूबर 2008

इन्तजार में






कितनी सुंदरहोती हैं चिड़िया



चहकती हुई कही पर भी चली जाती हैं



लेकिन देखो इस चिड़िया को



कैसे शांत बैठी हैं एक डाल पर



न जाने किसके इन्तजार में



जो हर जगह चली जाती हैं

घने बादलो के बीच में

देखो कैसे बैठी हैं

उसके इन्जार में



थक कर बैठ गई हैं उसी के इतजार में



यह फोटो दीपचंद्र तिवारी जो की फोटो खीचने में माहिर हैं यह उनकी फोटो हैं जिस पर मने कुछ पंक्तिया लिखी हैं